रायगढ़। तमनार क्षेत्र में महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी (महाजेंको) को आवंटित गारे-पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक का भूमि अधिग्रहण वर्षों से अधर में लटका हुआ है। राजस्व विभाग की लापरवाही, गलत सर्वे, त्रुटिपूर्ण मुआवजा और अवैध निर्माण के कारण यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। अब प्रशासन एक-एक गांव से एनओसी लेकर नए सिरे से सर्वे की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।
इस कोल ब्लॉक से हर साल करीब 23.6 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। परियोजना से 14 गांव—टिहली रामपुर, कुंजेमुरा, गारे, सराईटोला, मुड़ागांव, रोडोपाली, पाता, चितवाही, ढोलनारा, झिंकाबहाल, डोलेसरा, भालूनारा, सरसमाल और लिबरा—प्रभावित हो रहे हैं। कुल मिलाकर ढाई हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि परियोजना की जद में है।
15 जनवरी 2024 को एनजीटी ने कन्हाई राम पटेल की अपील पर परियोजना की पर्यावरणीय अनुमति रद्द कर दी थी। इसके बावजूद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी ने निर्देशों का पूर्ण पालन किए बिना ही दोबारा अनुमति जारी कर दी। इस वजह से प्रोजेक्ट अब कानूनी और प्रशासनिक उलझनों में फंसा हुआ है।
सबसे बड़ी समस्या वन भूमि के बदले क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण और अवैध निर्माणों की है। कई बाहरी निवेशकों ने प्रभावित गांवों में जमीन खरीदी और टुकड़ों में अवैध रजिस्ट्री कराई। प्रशासन ने 26 फरवरी 2021 को इन गांवों में क्रय-विक्रय और नामांतरण पर प्रतिबंध लगाया था, परंतु इसके बाद भी जमीनों की खरीद-बिक्री होती रही। 5 अगस्त 2021 को डायवर्सन पर भी रोक लगाई गई थी।
सूत्रों के अनुसार, कुछ राजस्व अधिकारियों पर नामांतरण और प्रमाणीकरण में गड़बड़ी करने के आरोप हैं। नागपुर, बेंगलुरु, रायगढ़, रायपुर, दुर्ग और कोरबा जैसे शहरों के लोगों ने भी यहां जमीन खरीदी है।
वर्तमान में प्रशासन ने पाता ग्राम पंचायत से सर्वे के लिए एनओसी मांगी है। घरघोड़ा एसडीएम ने तहसीलदार तमनार को आदेश जारी कर जल्द सर्वे पूरा करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, अवैध निर्माणों को वैध कराने का दबाव बढ़ने से प्रक्रिया फिर से धीमी पड़ने की आशंका है।












